×
खोजें

अध्ययन # 2 क्या परमेश्वर हमें कभी छोड़ सकता है या हम से आशारहित हो सकता है?

प्रार्थना के साथ आरम्भ कीजिए: "हे परमेश्वर, मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप अपने वचन, बाइबल के माध्यम से मुझसे बात करें। मेरे हृदय से बात करें कि जो कुछ आप मुझसे कहना चाहते हैं उसे मैं समझ सकूँ। आमीन।"

यूहन्ना 1
12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास करते हैं – 13 वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

प्रश्न – किस क्षण आपका नया जीवन आरम्भ हुआ?

2 कुरिन्थियों 5
17 इसलिये यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नईं हो गई हैं!

प्रश्न – एक बार जब एक व्यक्ति यीशु के अपने जीवन में ग्रहण कर लेता है, तो वचन 17 के अनुसार, उसका जीवन अब किस तरह से भिन्न होगा?

इफिसियों 1
13 और उसी में अब तुम पर भी, जब तुम ने सत्य का वचन सुना जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी…

2 कुरिन्थियों 1
22 [उसने] हम पर छाप भी कर दी और बयाने में आत्मा को हमारे मनों में दिया…

प्रश्न – परमेश्वर ने उस समय हमें क्या दिया जब हमने मसीह को स्वीकार किया था? (बाइबल स्पष्टता से शिक्षा देती है कि केवल एक ही परमेश्वर है, तौभी वह तीन “व्यक्तियों: में है … पिता, पुत्र (यीशु), पवित्र आत्मा।)

इब्रानियों 13
5 …परमेश्वर ने आप ही कहा है, “मैं तुझे कभी न छोडूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा।”

इस वचन को पुन: पढ़ें और अपने नाम को “तुझे” वाले स्थान में लिख लें।

प्रश्न – इसका आपके लिए क्या अर्थ है कि परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि वह कभी भी न छोड़ेगा, और न कभी तुझे त्यागेगा?

यूहन्ना 10 – यीशु ने कहा :
27 मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। 28 और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। वे कभी नष्ट न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। 29 मेरे पिता, जिसने उन्हें मुझ को दिया है, सब से बड़ा है और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन नहीं सकता। 30मैं और मेरा पिता एक हैं।

प्रश्न – कौन आपको उसके हाथों में सुरक्षित रखता हैं?

प्रश्न – वचन 24 में, यीशु क्या कहता है कि वह आपको देगा?

यूहन्ना 5 – यीशु ने कहा:
24 मैं तुम से सच सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।

1 यूहन्ना 5
11 और वह गवाही यह है: कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है, और वह अनन्त जीवन उसके पुत्र में है। 12 जिसके पास पुत्र है उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है। 13 मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है कि तुम जानो कि अनन्त जीवन तुम्हारा है।

प्रश्न – वचन 11 के अनुसार, हम किस तरह से अनन्त जीवन प्राप्त करते हैं?

प्रश्न – वचन 12 और 13 के अनुसार, किसके पास अनन्त जीवन है?

प्रश्न – क्या यह सम्भव है कि यीशु को ग्रहण करने के लिए, व्यक्तिगत् रूप से पुत्र में विश्वास कर लिया और फिर भी अनन्त जीवन न हो?

वे जिन्होंने अभी तक यीशु को अपने जीवन में ग्रहण नहीं किया, परमेश्वर को ईश्वर को व्यक्तिगत रूप से जानना यह व्याख्या करता है कि वे कैसे कर सकते हैं।

रोमियों 8
38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई, 39 न गहराई और न कोई और सृष्टि हमें परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

निष्कर्ष: इन उपरोक्त सभी वचनों से सारांशित करें कि कैसे हम जान सकते हैं कि यीशु के साथ आपका सम्बन्ध सुरक्षित है।